Thursday, May 7, 2009

श्री रामः शरणं मम
हमने एक दिन महाराज जी से पुछा कि दान देने या इमानदार आदमी होने के बदले व्यक्ति को क्या मिलता है ?
महाराज श्री ने अपनी सहज भाषा में कहा "संतोष" फिर वे बोले यदि इमानदारी या दान देने के बाद भी दुःख ही मिले तो दान देने या ईमानदारी करने कि आवश्यकता ही क्या थी ।